
वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश को लेकर महीनों से जारी विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बीएचयू की पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर गंभीर आपत्तियां जताते हुए इसे तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यूजीसी ने पूरी प्रक्रिया की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है और साफ निर्देश दिए हैं कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक विश्वविद्यालय 466 सीटों पर कोई दाखिला नहीं ले सकेगा।
यूजीसी सचिव ने पत्र जारी कर जताई चिंता
यूजीसी सचिव मनीष आर. जोशी की ओर से सोमवार को जारी पत्र में कहा गया है कि बीएचयू से जुड़े कई पीएचडी मामलों और प्रक्रियाओं में गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं। उन्होंने बताया कि पीएचडी डिग्री प्रदान करने से संबंधित यूजीसी के न्यूनतम मानक एवं प्रक्रिया विनियम, 2022 का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है, जिसकी बीएचयू में अनदेखी हुई प्रतीत होती है।
कैंपस में आंदोलन और विरोध भी बने जांच का हिस्सा
बीएचयू परिसर में पिछले चार महीने में पीएचडी दाखिले को लेकर छात्रों द्वारा किए गए 10 से अधिक धरनों को भी यूजीसी की जांच समिति केंद्र में रखकर देखेगी। सूत्रों के अनुसार, हालिया दिनों में कैंपस में हुए पांच बड़े आंदोलनों के कारण भी यूजीसी की चिंता बढ़ी है। यूजीसी के आदेश के बाद विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति और रजिस्ट्रार को दोबारा दिल्ली तलब किया गया है। दोनों अधिकारियों से पूरी प्रक्रिया और विवादों पर जवाब मांगा जाएगा।
गुस्से में छात्र, आंदोलन हुआ और उग्र
दूसरी ओर, पीएचडी प्रवेश की मांग को लेकर कुलपति आवास के बाहर 11 दिनों से धरना दे रहे छात्र का गुस्सा अब उबाल पर है। सोमवार को छात्र समूह कुलपति निवास से सेंट्रल ऑफिस की ऊपरी मंजिल तक पहुंच गया और जोरदार नारेबाजी करने लगा। उस वक्त कुलपति और रजिस्ट्रार परिसर में मौजूद नहीं थे। नाराज छात्र गुस्से में ऊपर ही प्रदर्शन करते रहे।
स्क्रीनिंग और इंटरव्यू के बाद बढ़ा विवाद
जानकारी के अनुसार, पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया जैसे ही परीक्षा नियंत्रक कार्यालय की ओर से स्क्रीनिंग पूरी कर इंटरव्यू की तिथि घोषित की गई, विरोध की आवाजें और तेज हो गईं। विभागों ने जैसे ही चयनित अभ्यर्थियों को फीस जमा करने की लिंक भेजी, वैसे ही छात्रों ने अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए क्रमशः धरना शुरू कर दिया।
छात्रों की अगुवाई में कई विभागों में आंदोलन
सबसे पहले सब लैटर्न स्टडी विभाग में पल्लव सिंह, मालवीय पीस रिसर्च सेंटर में शिवम सिंह, हिंदी विभाग में अर्चिता सिंह और भास्करादित्य त्रिपाठी, वहीं प्राचीन इतिहास विभाग में कुणाल गुप्ता और करन जायसवाल ने दाखिले की प्रक्रिया को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू किया। इसके बाद यह विरोध पूरे कैंपस में फैल गया।
अब क्या आगे?
यूजीसी की जांच समिति विश्वविद्यालय में विभागीय गतिविधियों, चयन प्रक्रिया, अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग, इंटरव्यू की प्रक्रिया और चयन में पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए अपना विश्लेषण पेश करेगी। रिपोर्ट आने तक दाखिले की सभी गतिविधियां स्थगित रहेंगी।बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में पीएचडी जैसे उच्च शोध कार्यक्रमों को लेकर उठे सवाल न केवल संस्थान की साख को प्रभावित करते हैं, बल्कि उच्च शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं।