
भारत और पाकिस्तान ने सीमा पर बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए एक नया संघर्ष विराम (Ceasefire Agreement) लागू करने पर सहमति जताई है। यह कदम दोनों देशों के बीच शांति की बहाली की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है। आइए समझते हैं कि सीजफायर क्या होता है, इसका इतिहास क्या रहा है, और यह समझौता इतना जरूरी क्यों है।
सीजफायर क्या होता है?
सीजफायर यानी संघर्ष विराम, वह स्थिति होती है जब दो देश या पक्ष आपसी सहमति से सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला करते हैं। इसमें गोलीबारी, हमले या किसी भी तरह की सैन्य गतिविधि पर रोक लगाई जाती है। यह समझौता लिखित या मौखिक दोनों रूपों में हो सकता है।
ध्यान रखने योग्य बात: अगर सीजफायर के दौरान कोई पक्ष हमला करता है, तो इसे सीजफायर उल्लंघन माना जाता है।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम: एक झलक
- 1947-48: कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ।
- 1949: संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से पहली बार सीजफायर लाइन तय की गई, जिसे बाद में ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’ (LoC) कहा गया।
- 1990: भारत ने LoC पर सुरक्षा कारणों से बाड़ लगाई, जिससे पाकिस्तान ने विरोध जताया।
- 1999: करगिल युद्ध के बाद हालात और बिगड़े।
- 2003: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल पर व्यापक संघर्ष विराम समझौता लागू हुआ, जो LoC, अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) और सियाचिन तक प्रभावी था।
बार-बार हुआ उल्लंघन
सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान की ओर से कई बार इसका उल्लंघन हुआ है। फिर भी दोनों देशों ने शांति बनाए रखने की कोशिशें जारी रखीं। इनमें गलत सूचनाओं का प्रचार रोकना, सीमा पर सेना की संख्या कम करना जैसे कदम शामिल रहे।
वाजपेयी की शांति पहल
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के लिए कई पहल कीं। 2003 का संघर्ष विराम समझौता इसी कड़ी का एक हिस्सा था, जिसे भारत के विदेश मंत्रालय और सैन्य अधिकारियों की सहभागिता से लागू किया गया।